Saturday 4 February 2012

जिन्दगी ! मुझें अलविदा ना कहना, बल्कि...


जिन्दगी...! 
मैं नही जानता कि तू है क्या चीज़ है! यह अभी तक रहस्य है! किंतु इतना जानता हूँ कि इक दिन हमे जुदा अवश्य होना पड़ेगा, और हम कब, कैसे व कहाँ मिलेंगे यह अभी तक मेरे लिए रहस्य बना हुआ है !

ओ जिन्दगी! हम अच्छे और बुरे दिनों के लंबे समय से साथी रहे हैं! इसलिए हमारी जुदाई बहुत ही त्रासदायक होगी, इसे शब्दों मे कहना असंभव है! उसे केवल नि-श्वास व इक आँसू से ही व्यक्त किया जा सकता है!

इसलिए मेरी प्रार्थना है कि चुपके-चुपके चले जाना, बहुत कम समय पूर्व सूचना देना, अपना समय खुद तय करना, मुझें अलविदा ना कहना, बल्कि किसी खुश-नुमा मौसम मे कहीं सु-प्रभात कहना...!!!

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