जिन्दगी...!
मैं नही जानता कि तू है क्या चीज़ है! यह अभी तक रहस्य है! किंतु इतना जानता हूँ कि इक दिन हमे जुदा अवश्य होना पड़ेगा, और हम कब, कैसे व कहाँ मिलेंगे यह अभी तक मेरे लिए रहस्य बना हुआ है !
ओ जिन्दगी! हम अच्छे और बुरे दिनों के लंबे समय से साथी रहे हैं! इसलिए हमारी जुदाई बहुत ही त्रासदायक होगी, इसे शब्दों मे कहना असंभव है! उसे केवल नि-श्वास व इक आँसू से ही व्यक्त किया जा सकता है!
इसलिए मेरी प्रार्थना है कि चुपके-चुपके चले जाना, बहुत कम समय पूर्व सूचना देना, अपना समय खुद तय करना, मुझें अलविदा ना कहना, बल्कि किसी खुश-नुमा मौसम मे कहीं सु-प्रभात कहना...!!!
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