Sunday 5 February 2012

कही वो मेरे बचपन का अतीत तो नही...?


खिडकी के उसपार घनघोर घटा के सन्नाटे तले 
बारिश की रिमझिम बौछारो के बीच; 

दूर गली मे झिलमिलाती हुई रोशनी मे 
मुझे देख न जाने कौन अट्खेलियाँ कर रहा है !

कुछ कुछ धूमिल सा जाना-पहचाना लग रहा है, 
ना जाने क्यू वो मुझ पर हॅस रहा है !!
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कही वो मेरे बचपन का अतीत तो नही ???

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